भिखारी की दावत
भिखारी की दावत पर निबंध
जब हम भिखारी शब्द सुनते हैं, तो हमारे मन में एक अवहेलना की भावना होती है। भिखारी के बारे में सोचने से हमारे मन में अक्सर यही सवाल उठता है कि क्या भिखारी लोग अपनी कमजोरी या आर्थिक स्थिति के कारण हमें परेशान करते हैं? यदि हम इस सवाल का उत्तर ढूंढने की कोशिश करें तो हम इस बात से वाकिफ होंगे कि भिखारी लोग अक्सर समाज के विभिन्न वर्गों के अन्यायों का शिकार होते हैं।
भारत में भी भिखारी लोग बहुत होते हैं। यह लोग आम तौर पर अपने आश्रय से निकलकर दुकानों या सड़कों पर जाकर भिख मांगते हैं। इन लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर होती है और उन्हें खाने के लिए भी कभी-कभी भीख मांगना पड़ता है। इन लोगों की जीवनशैली बहुत दुखद होती है और अक्सर समाज के दूसरे वर्गों द्वारा उन्हें नीचा दिखाया जाता है।
हालांकि, कुछ लोगों की सोच इससे भिन्न होती है। कुछ लोगों को लगता है.कुछ लोग इस बात को भी मानते हैं कि भिखारी लोग इस दुनिया में अपने जीवन का सामान्य अधिकार नहीं उठा पाते हैं। इन लोगों को समाज के दूसरे वर्गों से ज्यादा समझदार और उदार होना चाहिए। यदि हम उन्हें अपने घर में एक मौका दें तो वे अपनी जिंदगी में कुछ अच्छा कर सकते हैं और आने वाले समय में उन्हें भीख मांगने की आवश्यकता नहीं होगी।इस संदर्भ में भिखारी की दावत एक अच्छा उदाहरण हो सकती है। भिखारी की दावत में हम भिखारी लोगों को एक मौका देते हैं जिससे वे एक बार अपनी जिंदगी में एक अच्छा काम कर सकते हैं। भिखारी की दावत के माध्यम से हम भिखारी लोगों को समाज के अन्य वर्गों के साथ मिलाकर एक समान जीवन जीने का मौका देते हैं।भिखारी की दावत के माध्यम से हम समाज में एक जागरूकता भी फैला सकते हैं। भिखारी लोगों की समस्या को देखते हुए हम लोगों को उनकी मदद करने और उन्हें समाज के अन्य वर्गों के साथ जोड़ने की जर
कहानी की नीति
इस कहानी से हम यह सिखाते हैं कि चाहे कोई आपको दावत पेश करें अब तो जाना चाहिए क्योंकि वह बहुत ही दिल से आपको दावत पेश करता है यह अपना फैमिली अनफ्रेंड कर देना शेयर करें.
0 Comments