भारत में गरीबों की संख्या बहुत अधिक है और उनका जीवन बहुत कठिन होता है। वे अपने रोज़मर्रा के जीवन में जरूरत से ज़्यादा काम करते हैं लेकिन फिर भी उनके पास कुछ ख़ास नहीं होता है। गरीबों के लिए भोजन भी बड़ी समस्या होती है।
भारत में फास्ट फूड का क्रेज़ बढ़ता जा रहा है, लेकिन इससे ज्यादा महंगा भोजन करना गरीब लोगों के लिए संभव नहीं होता है। इस समस्या को देखते हुए एक गरीब व्यक्ति ने अपने बचत से पिज्जा ढाबा शुरू किया।
उस व्यक्ति के पास बड़ी संख्या में गरीब लोग आने लगे और उन्होंने उनको बेहतरीन सेवा दी। वे समय पर समय पर पिज्जा बनाते और उसे सभी गरीब लोगों को आसानी से उपलब्ध करवाते थे। इस तरह वे गरीब लोगों को सस्ते में भोजन उपलब्ध करवाते थे जिससे गरीब लोग अपनी जरूरत के मुताबिक खाने का आनंद ले सकते थे।
इस पिज्जा ढाबा में बनाई जाने वाली पिज्जा अच्छी गुणवत्ता कीइस पिज्जा ढाबा का मकसद सिर्फ गरीबों को सस्ता भोजन प्रदान करना नहीं था, बल्कि यहां काम करने वाले लोगों की रोजी-रोटी की भी ज़िम्मेदारी ली गई थी। यहां पर नौकरी करने वाले लोगों को उचित मात्रा में वेतन दिया जाता था। इस तरह वे अपने परिवार का पेट पाल सकते थे और एक आदर्श नागरिक की तरह अपनी ज़िम्मेदारियों का पूरा निर्वहन कर सकते थे इस पिज्जा ढाबा की सफलता ने दूसरे लोगों को भी प्रेरित किया है। अब देश के अन्य शहरों में भी ऐसे पिज्जा ढाबे खुलने लगे हैं जो सस्ते भोजन के साथ-साथ गरीबों के लिए रोज़गार के अवसर भी प्रदान करते हैं। इस तरह समाज में संतुलन बना रहता है और गरीबों को भी अच्छे भोजन का मौका मिलता है।अंततः, गरीब का पिज्जा ढाबा एक अच्छा उदाहरण है कि किस तरह सामाजिक उत्थान के लिए हमें अपनी ज़िम्मेदारियों का पूरा निर्वहन करना चाहिए। हम सभी अपनी-अपनी क्षमताओं के अनुसार इस तरह कुछ न कुछ
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