MDH मसाला के मालिक महाशय धरमपाल गुलाटी की सफलता की कहानी | MDH Masala Owner Mahashay Dharampal Gulati Success Story In Hindi

 इस कहानी में MDH मसाला के मालिक महाशय धरमपाल गुलाटी की सफलता की कहानी | MDH Masala Owner Mahashay Dharampal Gulati Success Story In Hindi हम सब एक भूत ही शानदार मसाला वाले की सफलता की कहानी के बल्ला करने वाले हैं जो इंडिया और पाकिस्तान के बीच में रहता था.



MDH मसाला के मालिक महाशय धरमपाल गुलाटी की सफलता की कहानी | MDH Masala Owner Mahashay Dharampal Gulati Success Story In Hindi

MDH का फुल फॉर्म क्या है? | MDH Masala Full Form In Hindi 

MDH का Full Form है – महाशियान दि हट्टी (Mahashian Di Hatti). यह Everest Masala के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा स्पाइस/मसाला ब्रांड है।

MDH मसाला का मालिक कौन है? | Who Is The Owner Of MDH Masala?

MDH Masala की स्थापना महाशय धरमपाल गुलाटी ने की थी। दिसंबर 2020 में उनकी मृत्यु के उपरांत उनके पुत्र राजीव गुलाटी (Rajeev Gulati) कंपनी की बागडोर संभाली।

मसाला वाले के मिसाल बनने की कहानी है – ‘महाशय धर्मपाल गुलाटी’ (Mahashay Dharmpal Gulati) की सफ़लता की कहानी, जो कभी अपने जीवन निर्वाह के लिए तांगा चलाते थे और अपनी मेहनत और लगन से Spice King or Masala King ‘मसालों के बादशाह’ के नाम से मशहूर हुए और इनका मसाला ब्रांड MDH Masala आज हर घर की रसोई की पहचान है.

महाशय धर्मपाल गुलाटी (Mahashay Dharmpal Gulati) के जीवन में उतार-चढ़ाव, संघर्ष, परिश्रम और फिर सफलता प्राप्ति जैसे अनेक मसाले शामिल है, जो हम सबके लिए बेहतर मार्गदर्शक साबित हो सकते है. 

महाशय धरमपाल गुलाटी का जन्म एवं परिवार | Mahashay Dharampal Gulati Birth And Family 

Mahashay Dharampal Gulati ‘महाशय धरमपाल गुलाटी’ का जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में एक सामान्य परिवार में हुआ था. उनके पिता महाशय चुन्नीलाल और माता चनन देवी दोनों ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे. वे दोनों आर्य समाज के अनुयायी थे. धरमपाल का बचपन सियालकोट में बीता, जहाँ उनके पिता की मिर्च-मसालों की दुकान थी, जिसका नाम था – ‘महाशियान दि हट्टी’. उनके पिता अपने बनाये मिर्च-मसालों के कारण उस क्षेत्र में ‘दिग्गी मिर्च वाले’ के नाम से जाने जाते थे.

महाशय धरमपाल गुलाटी का प्रारंभिक जीवन व शिक्षा | Mahashay Dharampal Gulati Early Life & Schooling 

महाशय धरमपाल की शिक्षा 

धरमपाल का मन कभी भी पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगा. 5 वीं कक्षा में फेल होने के बाद तो उन्होंने पढ़ाई से नाता ही तोड़ लिया और स्कूल छोड़ घर पर बैठ गए. अपने पुत्र के इस तरह पढ़ाई छोड़ देने से उनके पिता पहले तो दुखी हुए. लेकिन बाद में उन्होंने उन्हें  कोई कारीगरी या हुनर सिखाने की ठानी, ताकि वे  कम से कम अपने पैरों पर खड़े होने लायक बन सके.

मसाला पीसने के काम की शुरुवात 

सबसे पहले उनके पिता ने उन्हें लकड़ी का काम सीखने एक बढ़ई के पास भेजा. 8 माह तक वहाँ लकड़ी का काम सीखने के बाद धरमपाल ने वहाँ जाना बंद कर दिया. उनका मन उस काम में नहीं रमता था.  फिर उनके पिता ने उन्हें एक चांवल की फैक्ट्री में काम पर लगा दिया, उसके बाद कपड़ों की. 15 वर्ष की आयु तक आते-आते धरमपाल कपड़ों से लेकर हार्डवेयर तक कई काम करके छोड़ चुके थे. किसी भी काम में वे टिक नहीं पाए. आखिरकार, उनके पिता ने उन्हें अपनी ही दुकान पर बैठा दिया और वे वहाँ मिर्च-मसाले पीसने का काम सीखने लगे.

महाशय धरमपाल गुलाटी का विवाह 

18 वर्ष के होते ही उनके पिता ने उनकी शादी करवा दी और इस तरह अपनी तरफ से धर्मपाल के प्रति हर जिम्मेदारी पूर्ण कर ली. इधर धर्मपाल भी मिर्च मसाले का कारोबार आगे बढ़ाने में लग गए.

देश विभाजन का धरमपाल के जीवन पर प्रभाव

सब कुछ सही रीति से चल रहा था कि 1947 में देश का विभाजन हो गया और सियालकोट पाकिस्तान का हिस्सा बन गया.

देश विभाजन के उपरांत पाकिस्तान में दंगे भड़क उठे, जिनमें कई हिन्दुओं को जान से मार दिया गया, कई की दुकानें लूट ली गई और उन पर अनेकों अत्याचार किये गए. ऐसी स्थिति में वहाँ रह रहे हिन्दुओं में असुरक्षा की भावना घर कर गई और उन्हें रातों-रात पाकिस्तान छोड़कर भागना पड़ा.

धर्मपाल भी सियालकोट छोड़कर भारत आने के लिए निकल गए. जिस ट्रेन से वे भारत आ रहे थे, उसमें लाशें ही लाशें बिछी थी. लेकिन जैसे-तैसे वे अमृतसर पहुँच ही गए. वहाँ एक दिन रुकने के बाद दूसरे दिन ट्रेन पकड़कर वे दिल्ली के करोलबाग अपनी बहन के घर आ गए.

MDH मसाला का इतिहास | MDH Masala History In Hindi 

दिल्ली आने के बाद धरमपाल को फिर से शून्य से शुरुआत करनी पड़ी. वे सियालकोट से जेब में 1500 रुपये लेकर चले थे. वही उनकी जमा-पूंजी थी. उसमें से 650 रुपये का उन्होंने एक तांगा और घोड़ा खरीद लिया और तांगा वाला बन गए. वे न्यू दिल्ली स्टेशन से क़ुतुब रोड और करोल बाग़ से लेकर बड़ा हिंदू राव तक तांगा चलाते थे. लेकिन अधिक समय तक वे यह काम नहीं कर पाए. आखिर थे तो वे व्यापारी ही.

दो महीने तांगा चलाने के बाद उन्होंने तांगा बेच दिया और प्राप्त पैसों से लकड़ी का खोका खरीद कर अजमल खान रोड, करोल बाग़ में एक छोटी सी दुकान बनवा ली. उसी दुकान में उन्होंने मसालों का अपना पुश्तैनी धंधा फिर से शुरू कर लिया. अपनी इस दुकान का नाम उन्होंने “महशिआन दि हट्टी – सियालकोट वाले” रखा.

कभी सियालकोट में अच्छी खासी दुकान चलाने वाले धर्मपाल उस छोटे से खोके पर ही पूरी मेहनत से मसाला कूटने और मिर्च पीसने का कार्य करने लगे. धीरे धीरे उनकी मेहनत रंग लाने लगी.

जैसे-जैसे लोगों को पता चलता गया कि ये वही सियालकोट के दिग्गी मिर्च वाले है, वे उनकी दुकान पर मसाले खरीदने आने लगे. साथ ही उनके बनाए मसालों की गुणवत्ता भी इतनी अच्छी थी कि लोगों का उन पर भरोसा बढ़ता गया. अखबारों में दिए गए विज्ञापनों से भी उनके बनाये मसाले मशहूर होने लगे और उनका व्यापार बढ़ता चला गया.

उन्होंने चांदनी चौक में अपना दूसरा स्टोर खोला। वर्ष 1959 में उन्होंने न्यू दिल्ली के कीर्ति नगर में अपना पहला मैन्युफैक्चरिंग प्लांट खोला। 1965 में उन्होंने MDH (Mahashian Di Hatti) रजिस्टर्ड की।

1968 तक उन्होंने दिल्ली में अपनी मसालों की फैक्ट्री खोल ली. उसके बाद उनके मसाले पूरे भारत में और बाहर के देशों में निर्यात होने लगे.

एमडीएच मसाला नेट वर्थ | MDH Masala Networth 

आज उनका “महशिआन दि हट्टी MDH एक बहुत बड़ा ब्रांड है. MDH विश्व के 100 से अधिक देशों में अपने 62 से अधिक product की supply करता है. उनके Top 3 Product है – देग्गी मिर्च, चाट मसाला और चना मसाला. वर्ष 2020 तक उनकी कंपनी की 18 मैन्युफैक्चरिंग यूनिट थी और वर्ष 2020 में राजस्व ₹10.95 बिलियन था।

महाशय धरमपाल गुलाटी की मृत्यु | Mahashay Dharampal Gulati Death 

कभी दो आना लेकर तांगा चलाने वाले महाशय धरमपाल की 3 दिसंबर 2020 में जब मृत्यु हुई, उस समय वे अरबपति थे. उन्होंने अपनी मेहनत, लगन और कार्य के प्रति पूर्ण ईमानदारी से आज यह मुकाम हासिल किया, वह सराहनीय और स्मरणीय है।

एक उद्योगपति होने के साथ-साथ वे एक समाजसेवी भी है. उन्होंने समाज सेवा के उद्देश्य से कई अस्पताल और स्कूलों का निर्माण करवाया. 

मसाला किंग के नाम से जाने जाने वाले महाशय धरमपाल के जीवन का एक फलसफ़ा रहा – “दुनिया को अपने सर्वश्रेष्ठ दो और सर्वश्रेष्ठ स्वमेव ही आपके पास वापस आएगा.


Mahashay Dharampal Gulati Biography In Hindi

NameMahashay Dharampal Gulati
BornMarch 27, 1923
PlaceSialkot, Pakistan
Death3 December 2020
Achievement

Founder Of MDH Masala



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