अज हम सब के लिए small poem in hindi | हिंदी में छोटी कविता छोटी सी कविता लाए हैं जो सब को अच्छे मिलेंगे जो बच्चों के लिए हैं बच्चे इन सब को सुन भूत वह मस्त होजाते है.
small poem in hindi | हिंदी में छोटी कविता
Chidiya ke Bachhe Char – चिड़ियों के थे बच्चे चार
चिड़ियों के थे
बच्चे चार,
निकले घर से
पंख पखार।
पूरब से
पश्चिम को आए,
उत्तर से
दक्षिण को जाएं।
उत्तर दक्षिण
पूरब पश्चिम,
देख लिया
हमने जग सारा।
अपना घर
खुशियों से भरा,
सबसे न्यारा
सबसे प्यारा।
(2) Titli Rani Badi Sayani – तितली रानी बड़ी सयानी
तितली रानी बड़ी सयानी,
रंग बिरंगे फूलों पर जाती है।
फूलों से रंग चुरा कर,
अपने पंखों को सजाती है।
कोई हाथ लगाए,
तो छूमंतर हो जाती है।
पंखों को फड़फड़ा कर,
हर फूल पर वो मंडराती है।
घूम-घूम कर सारे फूलों की,
खुशबू वो ले जाती है।
फूलों का मीठा रस पीकर,
दूर जाकर पंखों को सहलाती है।
रंग बिरंगी तितली रानी,
बड़ी सयानी।
(3) Child Poem in Hindi, बच्चों की कविताएं
रोज सुबह सूरज आसमान में आकर,
हम सबको नींद से जगाता है।
शाम हुई तो लाली फैलाकर,
अपने घर को चला जाता है।
दिन भर खुद को जला जलाकर,
यह प्रकाश फैलाता है।
कभी नहीं करता आलस्य,
रोज नियम से समय पर आता जाता।
कभी नहीं करता है घमंड,
बादलों के संग भी लुकाछिपी खेलता है।
उसका जीना ही जीना है,
जो काम सभी के आता है।
(4) Chuk Chuk Karti Rail Gadi Aayi – छुक छुक करती रेलगाड़ी आयी
छुक छुक करती रेलगाड़ी आयी,
पो पो पी पी सीटी बजाती आयी,
इंजन है इसका भारी-भरकम।
पास से गुजरती तो पूरा स्टेशन हिलाती,
धमधम धमधम धमधम धमधम,
पहले धीरे धीरे लोहे की पटरी पर चलती।
फिर तेज गति पकड़ कर छूमंतर हो जाती,
लाल बत्ती पर रुक जाती,
हरी बत्ती होने पर चल पड़ती।
देखो देखो छुक छुक करती रेलगाड़ी,
काला कोट पहन टीटी इठलाता,
सबकी टिकट देखता फिरता।
भाग भाग कर सब रेल पर चढ जाते,
कोई टूट न पाए इसलिए,
रेलगाड़ी तीन बार सीटी बजाती।
छुक छुक करती रेलगाड़ी आयी।
(5) Aao Hum Sab Jhula Jhule – आओ हम सब झूला झूलें
आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें
है बहार सावन की आई
देखो श्याम घटा नभ छाई
अब फुहार पड़ती है भाई
ठंडी – ठंडी अति सुखदायी
आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें
कुहू – कुहू कर गाने वाली
प्यारी कोयल काली – काली
बड़ी सुरीली भोली – भाली
गाती फिरती है मतवाली
हम सब भी गाकर झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें
मोर बोलता है उपवन में
मास्त हो रहा है नर्तन में
चातक भी बोला वन में
आओ हम सब झूला झूलें
पेंग बढ़ाकर नभ को छूलें
कहानी की नीति
क्या कविता से आप सब बचे क्या सीखें जो अच्छा सीखे ना लाइफ में अच्छा करना है कुछ कुछ हो जाए आप के लाइफ में अपने दोस्तों के साथ शेयर करें.
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